Class 12 Economics Chapter 1st Notes in Hindi || 12th Class समष्टि अर्थशास्त्र Chapter 1st Notes

Class 12 Economics Chapter 1st Notes in Hindi || 12th Class समष्टि अर्थशास्त्र Chapter 1st Notes

Subject - economics

Chapter 1 - राष्ट्रीय आय तथा संबंधित समुच्चय 

Class 12 Economics Chapter 1st Notes



अर्थशास्त्र क्या है ?

अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कार्यों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है।

Topic : अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं के प्रकार 

1) अंतिम वस्तुएं 

2) मध्यवर्ती वस्तुएं

3) उपभोक्ता वस्तुएं या उपभोग वस्तुएं 

4) पूंजीगत वस्तुएं

कुछ महत्वपूर्ण बिंदु Important Points 

1) उपभोक्ता वस्तुएं ( उपभोग वस्तुएं)

उपभोक्ता वस्तुएं या उपभोग वस्तुएं वे वस्तुएं होती हैं जो मानवीय आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से संतुष्ट करती हैं उन्हें उपभोक्ता वस्तुएं कहते हैं इन वस्तुओं का प्रयोग अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए नहीं किया जाता तथा यह वस्तुएं केवल उपभोग के लिए होती है उदाहरण के लिए परिवाार द्वारा उपभोग किया गया दूध तथा आइसक्रीम यह सब उपभोग वस्तुएं हैं


उपभोक्ता वस्तुओं को चार श्रेणियों में बांटा जाता है जो निम्न प्रकार के हैं।

1) टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं 

टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं होती हैं जिनका प्रयोग कई वर्षों तक किया जाता है तथा उनका सापेक्ष मूल्य भी अधिक होता हैं उदाहरण के लिए टीवी ,रेडियो ,कार ,स्कूटर, कपड़े धोने की वाशिंग मशीन टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं के उदाहरण है 


2) अर्ध टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं 

अर्ध टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं वे वस्तुएं होती है जो 1 वर्ष या उससे कुछ समय के लिए प्रयोग की जा सकती है तथा इनका सापेक्ष मूल्य बहुत अधिक नहीं होता है जैसे कपड़े ,फर्नीचर ,बिजली का सामान आदि ।


3) गैर टिकाऊ या एकल उपभोग वस्तुएं 

गैर टिकाऊ वस्तुएं वे वस्तुएं होती है जिनका केवल एक ही बार प्रयोग किया जा सकता है तथा इनका सापेक्ष मूल्य बहुत कम होता है उदाहरण के लिए एलपीजी गैस, दूध ,पेट्रोलियम, डबल रोटी आदि ।                                         


4) सेवाएं

सेवाएं वे गैर- भौतिक वस्तु है जो मानवीय आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से संतुष्ट करती हैं जैसे डॉक्टर,मशीन,घरेलू नौकर ,परिवहन चालक आदि की सेवाएं ।


2) अंतिम वस्तुएं

1) अंतिम वस्तुएं उत्पादन की सीमा रेखा को पार कर चुकी होती है

2) अपने अंतिम प्रयोगकरता के पास प्रयोग के लिए तैयार होती है

3) इन वस्तुओं का प्रयोग कच्चे माल के रूप में नहीं किया जाता है

4) इन वस्तुओं में मूल्य वृद्धि की जा चुकी होती है 

5) राष्ट्रीय आय में केवल अंतिम वस्तुओं को जोड़ा जाता है 

6) इन वस्तुओं का प्रयोग पुनः बिक्री के लिए नहीं किया जाता है


3) मध्यवर्ती वस्तुएं

1) मध्यवर्ती वस्तुएं उत्पादन की सीमा रेखा को पार नहीं करी होती है 

2) इनके मूल्य में अभी मूल्यवृद्धि की जानी होती है 

3) इन वस्तुओं का प्रयोग कच्चे माल के रूप में होता है

4) ये वस्तुएं पुनः बिक्री के लिए खरीदी जाती है

5) राष्ट्रीय आय के आकलन में इनका मूल्य नहीं जोड़ा जाता 

6) उदाहरण: कच्चा माल तथा एक फर्म द्वारा दूसरी फर्म से खरीदा गया माल 


4) पूंजीगत वस्तुएं 

1) ये वस्तुएं उत्पादक की स्थिर परिसंपत्तियां है

2) इन वस्तुओं में प्लांट, मशीनरी आदि आते हैं 

3) इन वस्तुओं का प्रयोग उत्पादन प्रक्रिया में कई वर्षों तक किया जाता है 

4) इन वस्तुओं का सापेक्ष मूल्य काफी अधिक होता है

5) पूंजीगत वस्तुओं में मूल्यह्रास शामिल होता है


Topic : मूल्यह्रास को परिभाषित करो।

जब स्थिर परिसंपत्तियों का प्रयोग किया जाता है तो

1) सामान्य टूट-फूट

2) आकस्मिक हानि की सामान्य दर 

3) प्रत्याशित अप्रचलन के कारण स्थिर परिसंपत्तियों के मूल्य में कमी हो जाती है 

4) स्थिर परिसंपत्तियों के मूल्य में होने वाली गिरावट को मूल्यह्रास कहते हैं 

5) मूल्यह्रास को अचल पूंजी का उपभोग भी कहते हैं  


Topic : निवेश Investment

एक निश्चित समय अवधि के दौरान उत्पादक के पूंजी के स्टॉक में होने वाली वृद्धि को निवेश कहते हैं या एक निश्चित समय अवधि के दौरान पूंजीगत वस्तु के स्टॉक में होने वाली वृद्धि को निवेश कहते हैं 


सकल निवेश Gross Investment

1 वर्ष के दौरान स्थिर परिसंपत्तियों तथा माल सूची स्टॉक को खरीदने के लिए किया गया कुल खर्च सकल निवेश कहलाता है 

सकल निवेश = शुद्ध निवेश (निवल निवेश) + मूल्यह्रास 


शुद्ध निवेश या निवल निवेश

एक अर्थव्यवस्था में एक निश्चित समय अवधि के दौरान पूंजीगत वस्तुओं के स्टॉक में होने वाली शुद्ध वृद्धि निवल निवेश कहलाती है इसमें मूल्यह्रास शामिल नहीं होता है या सकल निवेश में से मूल्यह्रास घटाने पर शुद्ध निवेश प्राप्त होता है।


स्टॉक Stock

स्टॉक एक ऐसी मात्रा या चर है जो किसी निश्चित समय बिंदु पर मापी जाती है जैसे 1 साल पर उदाहरण राष्ट्रीय धन एवं संपत्ति, मुद्रा की आपूर्ति आदि


प्रवाह Flow

प्रवाह एक ऐसी मात्रा है जिसे निश्चित समय अवधि में मापा जाता है समय अवधि एक घंटा, एक दिन, एक मास, 1 वर्ष , प्रति घंटा, एक सप्ताह कुछ भी हो सकता है प्रभा के उदाहरण राष्ट्रीय आय , निवेश आदि।


आय का चक्रीय प्रवाह

अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं एवं साधन सेवाओं तथा मौद्रिक आय के सतत प्रवाह को आय का चक्रीय प्रवाह कहते हैं इसकी प्रकृति चक्रीय होती है क्योंकि ना तो इसका कोई आरंभिक बिंदु होता है और ना ही कोई अंतिम बिंदु।


वास्तविक प्रवाह

वास्तविक प्रवाह में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं और साधन सेवाओं का प्रवाह होता है इसमें कोई भी मुद्रा का प्रवाह नहीं होता है ।


अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक कितने प्रकार के हैं 

परिवार क्षेत्र (Household Sector)

इसमें वस्तुओं तथा सेवाओं का इस्तेमाल उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है इसलिए परिवार क्षेत्र में उपभोक्ताओं को सम्मिलित किया जाता है 


उत्पादक क्षेत्र (Producers Sector)

इसमें अर्थव्यवस्था की सभी उत्पादन करने वाली इकाइयां (फर्मे) उद्योगों को सम्मिलित किया जाता है


सरकारी क्षेत्र (Government Sector)

इसमें कल्याण के काम करने के लिए एजेंसी के रूप में तथा उत्पादक के रूप में सरकार को सम्मिलित किया जाता है।


अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र ( international sector)

 इसमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपस्थित मांग और पूर्ति की शक्तियों को सम्मिलित किया जाता है 

समष्टि अर्थशास्त्र का उद्भव

समष्टि अर्थशास्त्र का एक अलग शाखा के रूप में उद्भव ब्रिटिश अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स की प्रसिद्ध पुस्तक द जर्नल थ्योरी ऑफ एंप्लॉयमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी के 1936 ईं में प्रकाशित होने के बाद हुआ ! उसके बाद 1929 की महामंदी और उसके बाद के वर्षों में देखा गया कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका के देशों में रोजगार के स्तरों में बहुत ज्यादा गिरावट आई इसका प्रभाव दुनिया के अन्य देशों पर भी पड़ा ! बाजार में वस्तुओं की मांग कम थी और कारखाने बेकार पड़े थे श्रमिकों को काम से निकाल दिया गया था संयुक्त राज्य अमेरिका में 1929 से 1933 तक बेरोजगारी की दर 3% से बढ़कर 25% हो गई थी ! इस घटनाओं ने अर्थशास्त्रियों को नए तरीकों से अर्थव्यवस्था के कार्य के संबंध में सोचने को प्रेरित किया इसी प्रकार से समष्टि अर्थशास्त्र जैसे विषय का उद्भव हुआ।


समष्टि अर्थशास्त्र की वर्तमान पुस्तक का संदर्भ

तो इसमें हम जानेंगे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के बारे में पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की परिभाषा कुछ इस प्रकार है

1 ) इसमें उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है

2) पूंजीवादी देश पिछले तीन से चार सौ साल के दौरान अस्तित्व में आए वर्तमान में भी उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया के कुछ ही देश पूंजीवादी देशों की श्रेणी में आते हैं। इस पुस्तक में उत्पादन इकाइयों को फर्म कहा जाता है।

3) इनका मुख्य उद्देश्य वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करके बाजार में उनको बेचना और उससे ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना होता है

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