Emergency Power Of President Of India - भारत के राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां कौन-कौन सी है ?
हेलो दोस्तों आपका फिर से हमारे एक नए पोस्ट में स्वागत है दोस्तों आज का हमारा विषय है "राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां कौन-कौन सी है" इस पर है तो चलिए समझते हैं कि भारत में राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां किस प्रकार हैं?
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Emergency Power of President of India in Hindi |
दोस्तो भारत के राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां तीन प्रकार की है
Question - भारत में अब तक कितनी बार आपातकाल लगाया गया है ?
Answer - भारत में अब तक तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया है।
DCLARATION OF EMERGENCY - आपातकाल को मुख्यतः तीन स्थितयों में घोषित किया जाता है
a) आपातकाल को युद्ध की स्थिति में या तो युद्ध होने की संभावना की स्थिति में या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में लागू किया जाता है
b) जब राज्यों का शासन देश के संविधान के अनुसार नहीं चलाया जाता तब आपातकाल लागू किया जाता है
c) आपातकाल की तीसरी स्थिति देश में आर्थिक संकट है जब देश में आर्थिक संकट आ जाता है तब भी आपातकाल लागू किया जाता हैभारत के राष्ट्रपति की शक्तियों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है -
1 सामान्यकालीन अर्थात जब परिस्थितियां सामान्य हों।
2 आपातकालीन अर्थात जब परिस्थितियां असामान्य हों।
विदेशी आक्रमण अथवा देश में सशस्त्र विद्रोह (अनुच्छेद 352)
राष्ट्रपति इस प्रकार की आपातकालीन शक्ति को तब प्रयोग करते हैं जब या तो कोई विदेशी आक्रमण हो जाये या फिर ऐसी कोई आन्तरिक या वाहय शक्ति देश को अस्थिर करने के लिये सशस्त्र विद्रोह कर दे जिससे देश की सुरक्षा खतरे में पड जाये। ऐसी अवस्था में यदि कैबिनेट राष्ट्रपति को लिखित रूप से उस क्षेत्र अथवा संपूर्ण देश में राष्ट्रपति शासन के लिए कहती है तो राष्ट्रपति वहां अपनी आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति शासन लागू कर देते हैं यहां यह समझना परम आवश्यक है की किसी भी क्षेत्र अथवा संपूर्ण देश में जो राष्ट्रपति शासन अनुच्छेद 352 के अंतर्गत लगाया जाता है उसे संसद के दोनों सदनों द्वारा 1 माह के भीतर दो तिहाई बहुमत से पास करना होगा। यदि यह पास हो जाता है तो राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए लागू हो जाएगा। इसकी व्यवस्था अनुच्छेद 352 में दी गई है इसे हम नेशनल इमरजेंसी के नाम से भी जानते हैं।
किसी भी राज्य में संवैधानिक विफलताओं के कारण राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356 )
यह दूसरे प्रकार की आपात स्थिति है जिसमें यदि राज्यपाल राष्ट्रपति से इस बात की शिकायत करता है कि राज्य में जो गतिविधियां चल रही हैं वे संविधान सम्मत नहीं है और इस राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तौर से ध्वस्त हो चुकी है ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति अनुच्छेद 356 का प्रयोग करते हुए वहां पर राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं। ऐसे में राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति के पास चली जाती हैं ( अनुच्छेद 357 ) और वे राज्य की कार्यपालिका का संचालन राज्यपाल व उसके अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा करते हैं। इस प्रकार के आपातकाल के लिये संसद की मंजूरी आवश्यक है। दो माह के भीतर संसद इसे पास करेगी यदि यह पास हो जाता है तो इसकी अवधि 6 माह की होगी और यदि यह प्रस्ताव पास नहीं होता है तो आपात काल 2 माह बाद स्वतः ही समाप्त हो जायेगा।
वित्तीय संकट अथवा वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)
यदि राष्ट्रपति को ऐसा लगता है कि देश में या देश के किसी हिस्से में वित्तीय संकट उत्पन्न हो गया है और देश पर इसका गम्भीर असर होने वाला है तो वह अनुच्छेद 360 की शक्तियों का प्रयोग करते हुये देश हित में धन से संबंधित कुछ निर्णय ले सकते हैं। इस अधिकार में राष्ट्रपति को यह शक्तियां प्राप्त हैं कि वे उच्चतम न्यायालयों के न्यायाधीशों तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन में कटौती कर सकते हैं। वे राज्य तथा संघ के कर्मचारियों के भत्ते आदि में कमी या रोक सकते हैं। वे धन संबंधी और कई गतिविधियों को कम अथवा रोक सकते हैं। इसे भी संसद को 2 माह मे मंजूरी देनी होगी। यह साधारण बहुमत से पास होता है।
इस घोषणा का प्रभाव यह होगा कि संघ की कार्पालिका शक्ति को राज्यों के आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार मिल जायेगा. राष्ट्रपति को यह अधिकार होगा कि वह सरकारी नौकरों, यहाँ तक कि सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतन कम करने और राज्यों के विधानमंडल द्वारा स्वीकृत धन विधेयक (धन विधेयक <<के बारें में पढ़ें) और वित्त विधेयक को अपनी स्वीकृति के लिए रोक कर रखने का आदेश दे. इसका प्रयोग अभी तक नहीं हुआ है.
Article 352 - अनुच्छेद 352
संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत देश में अब तक तीन बार आपातकाल की घोषणा की जा चुकी है। पहला आपातकाल सन् 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया था और भारत और चीन का युद्ध हुआ था तब लगाया गया था। और दूसरा आपातकाल सन 1971 में जब बांग्लादेश को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच से असामान्य स्थिति हो गई थी और भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था और भारत पर पाकिस्तान के आक्रमण होने की स्थिति में लगाया गया था और तीसरी बार सन 1975 में भारत के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी आंतरिक गड़बड़ी के आधार पर आपातकाल लगा दिया था जिस दिन को काला दिवस के रूप में मनाया जाता है
प्रथम आपातकाल की घोषणा 26 October, 1962 को की गई और इसे 10 जनवरी, 1968 को ख़त्म कर दिया गया.
दूसरे आपातकाल की घोषणा 3 दिसंबर, 1971 को की गई थी तीसरी बार 26 जून, 1975 को आंतरिक अव्यवस्था के नाम पर संकटकाल की घोषणा की गई. जून 1975 में घोषित संकटकाल 21 मार्च, 1977 को समाप्त कर दिया गया और 1971 से जारी संकटकाल 27 मार्च, 1977 को समाप्त कर दिया गया. इस प्रकार वर्तमान समय में कोई संकटकाल लागू नहीं है.
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