BA Hindi A.E.C.C [हिंदी भाषा और संप्रेषण] Unit 1, Ch-1 संप्रेषण का अर्थ, अवधारणा, महत्व और प्रक्रिया NOTES
संप्रेषण का अर्थ
एक नवजात शिशु जन्म लेने के बाद जब पहली बार रोता है तो उसका
रोना उसके परिवार के लिए उसका पहला संप्रेषण होता है
उसके बाद यह प्रक्रिया जीवनभर चलती है
हम बोलकर ,सुनकर ,देखकर, पढ़कर, चित्र बनाकर अपनी बात दूसरों
तक पहुंचाते हैं और दूसरों की बात समझते हैं यह सब संप्रेषण कहलाता है
व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है और समाज में संबंध बनाने के लिए उसे विचारों
का आदान प्रदान करना पड़ता है
मनुष्य एवं समाज के बीच सार्थक ध्वनियो द्वारा विचारों का जो आदान-प्रदान
होता है उसे भाषा कहते हैं और विचारों के आदान-प्रदान के बीच जो भावनाएं एक
दूसरे तक पहुंचती है उसे संप्रेषण कहते हैं
संक्षेप में बात करें तो अपने विचारों भावनाओं, सूचनाओं, का आदान प्रदान
करना संप्रेषण कहलाता है
संप्रेषण की अवधारणा
संप्रेषण शब्द की उत्पत्ति सम+प्रेषण के योग से हुई। सम यानी समान
रूप से और प्रेषण यानी आगे भेजना, अग्रसर करना अर्थात् बातचीत
या भाषा में किसी सूचना या विचार को समान रूप से सामने वाले व्यक्ति तक भेजना
अंग्रेज़ी भाषा में इसे COMMUNICATION कहते है
जिसकी उत्पति लैटिन भाषा के COMMUNIES शब्द से हुई जिसका अर्थ TO
SHARE ,TO TRANSMIT,TO EXCHANGE है।
मानव जीवन संप्रेषण अर्थात विचारों के आदान-प्रदान से परिपूर्ण है
कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति संप्रेक्षण में सक्रिय रहता है
अपने जीवन में लगभग 2 तिहाई से अधिक समय सुनते- बोलते या फिर
पढ़ते- लिखते व्यक्ति संप्रेषण में व्यतीत करता है
सूचना एवं तकनीकी के क्षेत्र में सम्प्रेषण एक तकनीकी शब्द है
जिसका अर्थ किसी सूचना या जानकारी को दूसरों तक पहुंचाना है
संप्रेक्षण के द्वारा समाज में व्यक्ति के संबंध अधिक विकसित होते हैं
सम्प्रेषण एक शक्ति है जो समाज की जड़ों को पोषित करती है
सम्प्रेषण पारिवारिक, धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक ,सांप्रदायिक, भाषिक,
वैश्विक आदि संबंधों की नींव रखता है
संप्रेषण की परिभाषाएं
लुईस ए एलन के अनुसार संचार से अभिप्राय उन समस्त साधनों से है जिसके द्वारा
एक व्यक्ति अपनी विचारधारा को दूसरे व्यक्ति के मस्तिष्क में डालने के लिए अथवा
उसे समझाने के लिए अपनाता है यह वास्तव में दो व्यक्तियों के मस्तिष्क के बीच की
खाई को पाटने वाला सेतु है इसके अंतर्गत कहने, सुनने तथा समझने की एक वैज्ञानिक
प्रक्रिया सदैव चालू रहती है
ई. एम. रोजर के अनुसार संप्रेक्षण वह प्रक्रिया है जिसमें स्रोत एवं श्रोता के
मध्य सूचनाओं का सम्प्रेषण होता है इस प्रकार सम्प्रेषण विचारों के
आदान-प्रदान से संबंधित है
चार्ल्स ई.आसगुड के अनुसार आमतौर पर संचार तब होता है
जब कोई ढांचा या स्रोत किसी अन्य को प्रभावित करें कुशलता पूर्वक
विभिन्न संकेतों का प्रयोग करके उन साधनों के द्वारा जो उन्हें जोड़ते हो
संप्रेषण का महत्व
व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक दूसरे
पर निर्भर रहता है अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें संप्रेषण करना पड़ता है
इसलिए संप्रेषण मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा है
व्यक्तिगत जरूरत - अपनी दैनिक दिनचर्या खाना-पीना प्रेम सेवा इत्यादि हमारी
बहुत से जरूरतें होती है जो बिना संप्रेषण के पूरी नहीं हो सकती
व्यक्तिगत संबंध- व्यक्तिगत संबंध बनाने के लिए संप्रेक्षण बहुत जरूरी है बिना
बातचीत के हम व्यक्तिगत संबंध नहीं बना सकते
सूचना - सूचना लेना या देना बाल्यावस्था से ही शुरू हो जाता है जब
बच्चा पहली बार पूछता है यह क्या है क्यों है जिज्ञासा की प्रवृत्ति
मानव स्वभाव का अभिन्न अंग है और यह सब संप्रेषण से ही पूरा हो पाता है
मनोरंजन - जीवन में स्फूर्ति और उत्साह के लिए मनोरंजन अति आवश्यक है
गपशप संप्रेक्षण का एक मजेदार और मनोरंजक उदाहरण हैं गपशप के द्वारा
हम एक दूसरे के विचारों भावनाओं एवं दृष्टिकोण को समझने का प्रयास
करते हैं और मनोरंजन के माध्यम से शिक्षा देना भी सुगम एवं सरल हो जाता है
आग्रह - इस प्रकार का संप्रेक्षण विज्ञापनों में देखने को
मिलता है विज्ञापनों को इस प्रकार बनाया जाता है कि वह
ज्यादा से ज्यादा लोगों को पसंद आए और विज्ञापनो में
ग्राहकों से आग्रह किया जाता है कि ग्राहक उस वस्तु को लेने
का मन बना लेता है
संप्रेषण के तत्व
संप्रेषक या स्रोत,संदेश,माध्यम,ग्राही ,फीडबैक
संप्रेषण की प्रक्रिया
संप्रेषण एक ऐसी प्रक्रिया है जो मानव जीवन में सतत एवं निरंतर चलती है मनुष्य का
सोचना समझना उसकी संवेदनाएं और उसका संपूर्ण व्यवहार संप्रेषण के अंतर्गत आता है
संप्रेषण की प्रक्रिया को समझने के लिए लासवेल के अनुसार संप्रेषण में
कौन कहता है ?
क्या कहता है ?
किस माध्यम से कहता है ?
किसको कहता है ?
कितने प्रभाव से कहता है यह प्रक्रिया चलती है ?
जॉन काटर के अनुसार संप्रेषण की प्रक्रिया में मुख्य रूप से निम्नलिखित तत्व
सक्रिय रूप से भाग लेते हैं
वक्ता /स्रोत ,वाणी को अभिव्यक्त करने का कौशल,संदेश
माध्यम,श्रोता या प्राप्तकर्ता,अनुक्रिया या प्रतिक्रिया
संदेश का संदर्भ,वक्ता और श्रोता का दृष्टिकोण एवं मूल्य
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