राजनीति क्या हैं - what is politics in Hindi | What is Politics - राजनीति क्या है?

राजनीति क्या हैं - what is politics in Hindi | What is Politics - राजनीति क्या है?

राजनीति क्या हैं? (What is Politics) राजनीति शब्द का निर्माण दो शब्दों से हुआ हैं- राज+नीति अर्थात किसी सत्ता को पाने के लिए जिस भी योजनाओं का निर्माण किया जाता हैं उसे राजनीति कहा जाता हैं। राजनीति के महान ज्ञाता एवं राजनीति के जनक के रूप में अरस्तू (Arestotal) को जाना जाता हैं। राजनीति एक राज प्राप्त करने के लिए योजना का निर्माण हैं।

इसके द्वारा शासन या सत्ता की प्राप्ति करना सम्भव हैं। एक देश दूसरे देश के साथ या एक राज्य दूसरे राज्य से अपनी बात मनवाने के लिए जिस कूटनीति का प्रयोग करता हैं उसे राजनीति कहा जाता हैं।

राजनीति समस्याओं के समाधान की कुंजी हैं। (Politics is the key to solving problems.) लेकिन राजनीति के संबंध में समाज के कई लोग कहते पाये जाते हैं कि राजनीति बहुत गंदी चीज हैं। घर-परिवार व समाज में भी कई लोग कहते मिलेंगे की राजनीति कर रहे हो, राजनीति मत करों। अर्थात् राजनीति को एक गंदी चीज के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की जाती हैं। जैसे हम जानते हैं कि मनुष्यों से मिलकर परिवार, समाज, राज्य व राष्ट्रीय समाज का निर्माण होता है और इन मनुष्यों के विचार एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। एक ही परिवार में हर सदस्य एक तरह से नहीं सोचते हैं। विचार में भिन्नता होती हैं। जबकि ये सदस्य एक ही रक्त संबंध के होते हैं। फिर भी एक मत के नहीं हैं। गांँव, समाज, राज्य वह राष्ट्रीय समाज में तो और भी अधिक विचार भिन्नता होती हैं। इस विचार भिन्नता के कारण संघर्ष होते रहते हैं। अतः संघर्ष स्वभाविक हैं। विचार भिन्नता के कारण उत्पन्न संघर्ष व समस्या का समाधान समाज नहीं कर सकता। इसलिए समाज से इतर, विद्वानों ने एक राज्य नामक संस्था की स्थापना करने की बात सोचने लगे और अततः स्थापित भी हुआ।

what is politics in Hindi


अरस्तु (Aristotle) के अनुसार यूनान में Polis नामक संस्था समाधान की गतिविधियांँ चला रही थी। जिसे राज्य कहा गया। संघर्ष व समस्या के समाधान के लिए जो गतिविधियांँ चलायी जा रही थी। इसी गतिविधियों को 'राजनीति' (Politics) कहा गया। हाॅब्स (Hobbs) के मनुष्यों ने भी संबंधित समाज में उत्पन्न संघर्ष व समस्याओं के समाधान हेतु आपस में समझौता करके एक राजा के रूप में सत्ता स्थापित किया था। जिसका कार्य था, समाज में व्याप्त संघर्ष को समाप्त करना। हाॅब्स के प्राकृतिक अवस्था में 'जिसकी लाठी उसकी भैंस' (Might is right) वाली स्थिति थी। राजा द्वारा अपनायी गयी समाधान की समस्त गतिविधियाँ 'राजनीति' कहलायी। अरस्तु के अनुसार सभी विद्याएँ समस्या पैदा करती हैं। जैसे- आर्थिक समस्या, दार्शनिक समस्या, सामाजिक समस्या आदि। लेकिन राजनीति ही एक ऐसा विद्या हैं जो समस्याओं का समाधान करती हैं। इसलिए अरस्तु ने राजनीति को 'मास्टर साइंस' कहा हैं। चूंँकि सभी विद्याओं से उत्पन्न संघर्ष व समस्याओं का समाधान राजनीति के द्वारा होता हैैं।

इस राजनीति को क्रियान्वित करने के लिए राज्य नामक संस्था स्थापित हुई और राज्य के गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए राज्य के अंदर कई सहायक संस्थाएंँ स्थापित की गयी। जैसे- कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका, चुनाव आयोग, लोक सेवा आयोग आदि। इन सभी संस्थाओं ने अपने-अपने क्षेत्राधिकार में संघर्ष व समस्याओं का समाधान करते हैं। अगर हमारे जीवन में राजनीति नहीं होगी तो हमारे समाज में व्याप्त संघर्ष व समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। इसलिए दुनिया के हर देश के लिए राजनीति आवश्यक हैं। अगर हमारे जीवन में राज्य न हो तो हमारी कई समस्याएंँ बनी रह जाएगी।

दुनिया के हर देश में राजनीति गतिविधियांँ होती हैं। कोई ऐसा देश नहीं हैं, जहाँ राजनीति नहीं होती। अर्थात् सभी देशों में राजनीति होती हैं। अगर राजनीति गंदी चीज होती या घृणित होती तो दुनिया का कोई भी एक ऐसा देश होता, जहांँ राजनीति नहीं हो रही होती। इसका मतलब है कि राजनीति गंदी नहीं, अच्छी और अपरिहार्य हैं। तभी तो दुनिया के हर देश बिना राजनीति के जीवित नहीं हैं। यह अपरिहार्य हैं। राज्य एक व्यवस्था अर्थात सिस्टम हैं। जिसे सरकार नामक वाहक संचालित करता हैं। जहांँ राजनीति नहीं है, वही समस्या या संघर्ष हैं। समाधान कई दृष्टिकोण हो सकते हैं।

व्यक्ति ➞ समाज ➞ संघर्ष ➞ समाधान की प्रमुख चार दृष्टिकोण हैं—

1. शासन एक कला के रूप में,

2. लोक क्रियाओं को संचालित करके,

3. संघर्ष/सहयोग से और

4. शक्ति के रूप में।


(1) शासन एक कला रूप में सत्ता मूल्यपरक निर्णय लेती हैं। समावेशी निर्णय ऐसे लेने का प्रयास किया जाता हैं। जिससे समाज के किसी वर्ग का हानि न हो। मूल्यों पर आधारित सभी को समान नजरियें से निर्णय लिये जाते हैं। फिर भी सभी को खुश नहीं किया जा सकता। सारे विषय जो राज्य और सरकार के अंतर्गत आते हैं, राजनीति के अभिन्न अंग होते हैं। अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत राज्य की आधारभूत समस्याओं का समाधान अपने तरीके से किये जाते हैं। वही व्यावहारिक दृष्टिकोण से यह राज्य के क्रियात्मक पहलू के आधार पर इसे लागू करने का प्रयास किया जाता हैं। अतः राजनीति राज्य और सरकार दोनों से संबंधित एक कला हैं। जो राज्य और सरकार दोनों के लिये गतिविधियांँ करते रहती हैं।


(2) लोक क्रियाओं को संचालित करके समस्याओं का समाधान निकाला जाता हैं। चूंँकि समस्त मानवीय क्रियाओं में राजनीति की मूल भावना पायी जाती हैं। यह सत्य है कि राजनीति का अस्तित्व तभी है, जब व्यक्ति क्रियाशील रहता हैं। निष्क्रियता राजनीति के लिए सबसे बड़ा शत्रु हैं। अतः राजनीति एक जीवित विषय हैं। चुनाव, वाद-विवाद, नीति-निर्धारक संबंधी क्रियाएंँ ही राजनीति के जीवन्तता का प्रमाण हैं। लोक क्रियाओं के साथ-साथ रणनीति भी चलते रहती हैं। बर्नर्ड क्रिक ने इसकी तुलना स्त्री और पुरुष के शारीरिक संबंध से की हैं। जिसके बिना मानव-समाज का अस्तित्व असंभव हैैं। उसी प्रकार लोक क्रियाओं के बिना राजनीति असंभव हैं। इन्हीं लोक क्रियाओं के कारण संघर्ष और समस्याएँ समाज में पैदा होती हैं। जिसे राजनीति अपने संस्थाओं के माध्यम से समाधान निकलती हैैं। यह प्रक्रिया चलती रहती हैं।


(3) संघर्ष/सहयोग भी समाधान का एक दृष्टिकोण हैं। राजनीति करने वाला व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी होता हैं। समाज से अलग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकता हैं। आवश्यकताओं के पूर्ति के साधन सीमित हैं। समाज का प्रत्येक व्यक्ति, संस्था व संगठन अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक-से-अधिक प्रयास करते हैं। इसलिए समाज में सदैव संघर्ष की स्थिति बनी रहती हैं। इस सामाजिक संघर्ष की स्थिति का समाधान राजनीति से ही संभव हैं। क्योंकि समस्या के समाधान के लिए राजनीति अपने संस्थाओं के माध्यम से एक विशेष और सकारात्मक प्रक्रिया अपनाती हैं। इस संदर्भ में एल॰ लिप्सन ने कहा भी हैं कि "राजनीति विवाद की एक निरंतर प्रक्रिया हैं।"


(4) शक्ति के रूप में भी राजनीति समाधान की दिशा में काम करती हैं। समाज में संघर्ष व समस्या उत्पन्न होने पर किसी सामान्य दृष्टिकोण या विधि समाधान नहीं निकल पता है तो राजनीतिक अपने उपयुक्त संस्थाओं के माध्यम से शक्ति का प्रयोग करके समाधान निकालने का प्रयास भी करती हैं। राजनीति शक्ति संपन्न भी होती हैं। इन्हीं शक्ति के आधार का प्रयोग कर संघर्ष को दबाने का प्रयास किया जाता हैं। राजनीति को शक्ति प्राप्त करना इसका चरम उद्देश्य भी हैं। बिना शक्ति की सत्ता संभव नहीं हैं। शक्ति से सत्ता और सत्ता से समाधान निकाला जाता हैं। इसलिए राजनीति को शक्ति का विज्ञान भी कहा जाता हैं। (Politics is also called the science of power)


अतः राज्य द्वारा समाधान के लिए किये गये तमाम गतिविधियांँ ही 'राजनीति' हैं। कहा जा सकता हैं कि संघर्ष तथा मतभेद के बीच रहते हुए भी राजनीति मूल रूप से एक मानवीय क्रिया हैं। यह समाज का एक महत्वपूर्ण पहलू हैं। आधुनिक समय में राजनीति जीवित रूप में सभी जगह उपस्थित हैं। चाहे वह स्थान सीमित कक्ष, सम्मेलन, स्कूल-कॉलेज स्टाफ की बैठक या किसी संगठन की बैठक हो आदि। राजनीति का एकमात्र उद्देश्य समझौता कराना हैं। जिसके लिए राजनीति अभिव्यक्ति व भाषण की प्रणाली को अपनाती हैं।


अतः हम कह सकते हैं कि राजनीति का संबंध संघर्ष व मतभेद से हैं। राजनीति की उत्पत्ति सामाजिक विविधता तथा अनंत मानवीय इच्छाओं से होती हैं। राजनीति अधिकांशतः स्वार्थों के वशीभूत होती हैं। राजनीति को सरकार व राज्य से अलग नहीं किया जा सकता। राजनीति में व्यक्तिगत पहलू अधिक शक्तिशाली होता हैं। राजनीति मूल रूप से एक मानवीय क्रिया हैं। जो अपनी उपस्थिति वही दर्ज करती हैं जहांँ मानव और कानून दोनों हैं। राजनीति अपने साथ मूल्यों का वहन नहीं करती हैं। अतः राजनीति संघर्ष के समाधान का एक साधन हैं। समस्याओं के समाधान की कुंजी हैं। राज्य में ही नहीं, बल्कि परिवार और समाज में भी राजनीति होती हैं। अतः राजनीति राज्य, समाज और परिवार के लिए अपरिहार्य हैं।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ